Monday, January 28, 2008

आज भारत का 59th गणतंत्र दिवस है

11:30 बजे है और लो मेरी सुबह हो गयी!अरे ये क्या आज तो भारत का 59th गणतंत्र दिवस है !पर पहले परेड तो शायद सुबह जल्दी होती थी ना? पर चलो कोई बात नहीं मैंने अपना weekend तो कम से कम अच्छे से शुरू किया है आज! बोले तो पूरा आराम !पर जब में छोटा था तो इतना समझदार क्यों नहीं था?हाँ सब बोलते थे ना की जब मैं बड़ा हो जाऊँगा तो मुझमें समझ आ जाएगी! पर ऐसी कैसी समझ आ गयी मुझमें की मैंने वर्ष में एक बार आने वाले गणतंत्र दिवस से भी अपने हर हफ्ते आने वाले weekend को प्राथमिकता दी ! समझ गया ये समझ है अपने स्वयं के बारें में ही सोचने की ,केवल अपने खुद के बारें में !जिसमें हम अपना (केवल अपना) ही सोचते है दूसरों का नहीं! तो मतलब अब मैं बड़ा और समझदार बन गया हूँ ,सही बोलूँ तो "बड़ा समझदार" ! पर अगर मैं समझदार हूँ और अच्छे काम करने लगा हूँ तो कुछ कम समझदार लोग ये क्यों बोलते थे कि हमें सुबह जल्दी उठाना चाहिए ?हो सकता है वो बड़े ही ना हुए हो क्योंकी बड़े लोग तो समझदार होते है ना ? मैंने आज दोपहर में cricket भी खेला वो भी बहुत दिनों बाद ,और हाँ कम से कम अच्छा भी खेला ! पर में कर भी क्या लेता अगर जल्दी उठ भी जाता तो ? शायद ज्यादा cricket खेलता ! क्यो ? क्योंकी मैं अब "बड़ा समझदार" हो गया हूँ ना इसीलिए ! पर मैं अगर शायद छोटा होता और थोडी कम समझ होती तो कुछ ऐसा करता जिससे की मेरे अलावा भी किसी और को फायदा होता ! पर मैं अकेला ऐसा क्या कर सकता था ? हाँ एक काम कर सकता था मैं किसी ऐसे काम की शुरुआत जिससे मेरे अलावा भी किसी और को फायदा होता ! पर क्या ? हाँ मैं दोपहर में जिस ground पे क्रिकेट खेलने गया था कम से कम उसी की थोडी सफ़ाई हो जाती ! वो भी पूरी टीम के साथ ! अरे पर ground की सफ़ाई से मुझे क्या मिलता ? लो फिर से मैंने अपने ही बारें में सोचा ना ! क्योंकी मैं बड़ा हो गया हूँ !पर सोचो अगर हम सब बड़े नहीं होते तो एक-एक ground करके क्या पूरा शहर , क्या पूरा देश साफ ना साफ कर सकते थे ? तो जैसे हम दूसरे देशो को देख कर तारीफ करते है वैसे ही लोग हमारे देश की भी करते ,कितना अच्छा लगता ना ? पर अब क्या कर सकते है ? गणतंत्र दिवस तो गया , कोई बात नहीं अगले weekend पे भी कर सकते है ये सब तो ! नहीं तो अगला गणतंत्र दिवस भी दूर नहीं है .......
बस हमको करना इतना है की - "ना तो बड़ा होना है और ना ही समझदार !!!!!!"

4 comments:

Suraj said...

sirjee, never knew you are such wonderful writer.
its really great, I am very impressed the way you have expressed yourself. Amazing.

Keep it up :) you are special.

iwin watodo said...

reading this article was a pleasure. good deep thoughts, i must say. Vaibhav is our very own 'dil se' guy. [:)], i would love to read more from you. keep blogging.

Suraj said...

sir jee, we are hoping to see more articles being roled out by u. and yes, on regular basis

Public demand hai :))

Unknown said...

abe yaar tu to sahi samjhdar ho gaya yaar...........GOOD THOUGHTS
JI HIND